आज फिर खिला हूं
तमतमाते सूर्य की
तीखी दृष्टि को उपेक्षित कर
बिखेर दी है पतझड़ी हवा ने
सारी हरी पत्तियां
पर पीले फूलों को रोक रखा है
मेरी नम आतुर प्रतीक्षा ने
कि आज तुम लौटो
कॉलेज से घर को
और मैं तुम्हें
मेरी ओर देख मुस्कुराता पाऊं
जानता हूं‚
आज मुस्कुरा न सकोगी
किसी शहर को छोड़ना
इतना भी आसान नहीं
मैं तुम्हे क्या दूं आज?
ये गंधहीन पीले फूल?
आखिर हम‚
टूटते तन्हा दिनो के साथी रहे हैं
सच कहूं
तुम्हारा ये अमलताश
चुपके से हंस तो न सका
छुप कर रोया बहुत होगा
तुम्हारे अन्र्तद्वन्द ने
जब–जब विश्वास को छला होगा।
कविताएँ
अमलताश : 2
आज का विचार
एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।
आज का शब्द
द्विशाखित होना The river bifurcates up ahead into two narrow stream. नदी आगे चलकर दो संकीर्ण धाराओं में द्विशाखित हो जाती है।