बाहर बेचैन चाँदनी है
पतझड़ के पहले के
पागल रंगो की बहार है
इसे देख कर अकसर
मेरा गला भर आता है
पतझड़ का ये रुला देने वाला रूप
अलगाव से पहले कभी नहीं देखा
यूं इन दीवाने रंगों की उम्र
कम ही होती है
अगर धूप निखरी तो
तुम लौट आओगे
मैं पत्ते चुनूंगी
हर साल चुनती हूँ
जिनमें से कुछ पत्ते
तुम चुरा कर जला दिया करते हो
मगर
इस बार एक दर्द
अन्दर ही अन्दर रिस रहा है
मेरे प्रेम में
असमर्थता का एक मीठा–तीखा
काँटा धंस गया है।
कविताएँ
पतझड़ और अलगाव
आज का विचार
एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।
आज का शब्द
द्विशाखित होना The river bifurcates up ahead into two narrow stream. नदी आगे चलकर दो संकीर्ण धाराओं में द्विशाखित हो जाती है।