क्यों जन्मे हैं
अभिमन्यु की तरह
इस चक्रव्यूह के अंतिम व्यूह तक
पहुंचने की जन्मजात साध लिए?
क्यों नहीं जन्मे हम
एक शलभ की तरह
एक ही रात
जी भर कर जी लेने को
सुबह की पहली किरण के साथ
मर जाने को
क्यों आस–पास देखते आए हैं
रो–रोकर
कि समेट लेंगे कोई दो हथेलियां
उदास चेहरा
लगा लेगा वक्ष से कोई
दर्द हमारा अपना है
इसमें भी एक रूमानियत है
थोड़ी कसैली ही सही
वो जो देंगे वह सहानुभूति भी
होगी अजनबी
सेक्रीन सी मीठी
कड़वाहट की हद तक मीठी।

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आज का विचार

दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो।

आज का शब्द

द्विशाखित होना The river bifurcates up ahead into two narrow stream. नदी आगे चलकर दो संकीर्ण धाराओं में द्विशाखित हो जाती है।