जब भी‚
हम साथ हुए
उड़ गई सर की छत
अकसर हम मिले
पथरीले फुटपाथों पर
बस स्टॉप के निर्जन कोने में

जब भी हम साथ हुए
ढूंढते रहे एकान्त
एक छत‚ एक कमरा
या यूं ही घूमते रहे आवारा
घण्टों मोटरसाईकल पर

आज भी सालों बाद
हम आमने सामने हैं
पर
बदली नहीं परिस्थितियां
न छत है‚ न उपयुक्त शालीन जगह
बैठ कर बात कर लेने भर को
यूं कहने को अपने अपने आरामदेह घर हैं
पर उन परिधियों में परस्पर मेरा तुम्हारा
प्रवेश निषिद्ध है

आज भी हम खड़े हैं
बस स्टॉप के इसी कोने में
प्रश्न वही है‚ ज्यों का त्यों
‘ कहाँ चलें? ‘

देखो‚
मेरी मानो तो
मत बोओ बीज
आने वाले दिनों के
मत लो किसी से उधार ये शामें
रोक दो यहीं
प्रेम की बिगड़ती आकृति को
और बिगड़ने से
अन्यथा प्रेम तिकोना हो जाएगा।

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आज का विचार

चिंतन करो, चिंता नहीं, नए विचारों को जन्म दो।

आज का शब्द

मोहर Continuous hard work is the cachet of success in the life. निरंतर परिश्रम ही जीवन में सफलता की मोहर है।