पीले पत्तों का सैलाब आया है इन दिनों
गहरे नीले आसमान और पीले पत्तों से अंटी
जमीन के बीच
जो छूट गया था‚ मुझसे अनलिखा
मेरी उंगलियों पर कांप रहा है‚ इन दिनों
न जाने क्या बुझ रहा है भीतर कि
दोनों हाथों की ओट कर बचाना है उसे
कि फूंक मार कर सुलगानी है
कहीं बर्फ की परत के नीचे दबी
ठण्डी सी पीली – नीली आग

शब्दों की पारदर्शी नदी के तल में हैं
कुछ रुपहली सीपियां
लहरों की फेनिल झालर में
गुंथी हैं कुछ अनबूझी कहानियां
वो कहानियां जिनका रंग नीला है
उसी नीले ‘ पैशन’ की कहानियां
आ कर पकड़ रही हैं मेरी उंगलियां

शब्दों की परछाइयों के नीचे लेटी हूँ मैं‚
एक सिरा है — खो गया है कि
छूट गया है
लेटे लेटे अपने आप से बाहर निकल आना है मुझे
खोजने हैं छूटे सिरे नीली कहानियों के
जलानी है पीले पत्ते इकट्ठे कर एक आग
नीला रंग जो ‘ पैशन’ का है
पीले पत्तों का सैलाब आया है इन दिनों।

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