बहुत देर से अनमनी
शब्दों से खेल रही हूँ
खाली काग़ज़ का छोर
नहीं पकड़ पाती
हर मुद्दे के पीछे भाग रही हूँ
हर रिश्ते के कोने झांक रही हूँ
फिर भी

प्रेम में गहरे उतर कर भी
कोई थाह नहीं पाती
अनमनापन इस कदर हावी है आज
कि
शब्दों की तितलियां पकड़ने
उनमें नये रंग खोजने
नये भाव भरने के
अपने इस चिरप्रिय खेल में
कोई मज़ा नहीं बाकि पाती!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

आज का विचार

शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु हैं। विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु हैं। प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु हैं।

आज का शब्द

द्विशाखित होना The river bifurcates up ahead into two narrow stream. नदी आगे चलकर दो संकीर्ण धाराओं में द्विशाखित हो जाती है।