हे आदिम पुरुष
अपनी सहचरी इस आदिम स्त्री को
एक जवाब दोगे?
भूख क्या सिर्फ तुम्हारी ही होती है?
क्यों भूल जाते हो
तुम्हारी इस भूख के समानान्तर जागती
एक भूख इसकी भी होती है
जिससे बेखबर
तुम तृप्त हो‚ उठ जाते हो
थाली से
वह हतप्रभ थाली में बचे
अपनी चाह के
कुछ टुकडों को
अधखाया देखती है
सर झुकाये
समेटती है
आस पास बिखरी तुम्हारी
बेपरवाही की झूठन
अपनी भूख वहीं दबा
उठ जाती है
हताशा‚ ग्लानि और वितृष्णा के
मिले जुले भाव से
और भोर होने तक सोचा करती है
दांपत्य की इस अजब सी
थाली के लिये
जो एक की भूख को भूख समझती है
दूसरे की भूख को चरित्रहीनता
एक हक से खाता है उसी थाली से
दूसरा महज साथ देने को
फिर यह कैसा सम्भोग है?
किसने दिया है
यह नाम इसे?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

आज का विचार

एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।

आज का शब्द

द्विशाखित होना The river bifurcates up ahead into two narrow stream. नदी आगे चलकर दो संकीर्ण धाराओं में द्विशाखित हो जाती है।