आसमान एक तंग गली है
ठीक मेरी गली के ऊपर
उस पर न तो स्पूतनिक उड़ते हैं
न रंग बिरंगी चिड़ियां
गंधमयी बयार भी नहीं छूती उसे
न बादलों को घेरती सुनहरी रेखाएं
हां मेरी हथेली पर कभी – कभी उतर आते हैं
धूप के कुछ कतरे
जिन्हें सूरज मान मैं
चूम लेती हूँ
प्रणाम कर माथे पर धर लेती हूँ
और छुवा देती हूँ
उस नन्हें बोन्साई को
जो कुछ दिन पहले ही
परिवार का सदस्य बनने चला आया था
और अब धमकी देने लगा है
कूच कर जाने की
मैं डर जाती हूँ उसकी धमकी से
और आंखों से चूसने लगती हूँ
गली पार के आसमान की नीलाई को
आसमान के टुकड़े को
बिस्कुट की तरह चबाने लगती हूँ
कहीं अपनी जगह से वो गायब न हो जाये
मैं पूरा का पूरा निगल जाना चाहती हूँ
और विटामिन डी की गोली खा
दफ्तर के केबिन में बन्द हो जाती हूँ
कविताएँ
आसमान: मैनहैटन की गली में
आज का विचार
जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं हैं।
आज का शब्द
द्विशाखित होना The river bifurcates up ahead into two narrow stream. नदी आगे चलकर दो संकीर्ण धाराओं में द्विशाखित हो जाती है।