सब कुछ वही रहेगा
घर – आंगन – बगिया
पेड़ – पौधे – मौसम
फिर जाने किस वक्त
हरीतिमा चली आयेगी
अन्दर आंगन में
पंखे के ऊपर
चिड़िया बनायेगी घोंसला
और हम देखेंगे
उसे बरजे बगैर
फिर किसी बरसात में
हम चलायेंगे सपनों की नावें
और डूब जाने पर
उदास नहीं होंगे
हम बैठे रहेंगे तमाम वक्त
उसी वृक्ष के नीचे
सदियों तुम्हारी प्रतीक्षा में
हम लड़ते रहेंगे
जीवन की क्षुद्र लड़ाइयां
खून और पसीने से लथपथ
बगैर थके या हारे
और शाम को
जोर जोर से पढ़ेंगे
प्रेम कविता
सिरहाने रखी !
कविताएँ
प्रेम के बाद
आज का विचार
एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।
आज का शब्द
द्विशाखित होना The river bifurcates up ahead into two narrow stream. नदी आगे चलकर दो संकीर्ण धाराओं में द्विशाखित हो जाती है।