जिस दिन कुछ होता नहीं
तेरी याद भी पास आती नहीं
भाग जाती दिखा कर दूर से झलकियाँ
उसे पकड़ने को भागती मैं पीछे–पीछे
कैसी नटखट कि कभी
दिन भर झूलती रहती गले से
कभी ऐसी गायब कि‚
ज्यों बदली भरी रातों का चांद
पकड़ के मरोड़ देती उंगली मेरी
कभी सर पे थपकी दे भाग जाती
कभी आती खामोशियों के पीछे छिपकर
कभी रोशनी को धता बता कर
आज नहीं आई है‚ तो सोचती हूँ
नाराज़ है क्यों‚ क्या खता हुई मुझसे
मेरी दोस्त थी साथ चलती थी
कहाँ मैं तन्हा रोज़ जलती थी
कोई तो ऐतबार उसका तोड़ा होगा
कि मेले छूट गई उंगली उसकी
मैं दीवानावार उसको ढूँढती हूँ।

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आज का विचार

जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं हैं।

आज का शब्द

मोहर Continuous hard work is the cachet of success in the life. निरंतर परिश्रम ही जीवन में सफलता की मोहर है।