आएंगे पिता
सुबह की सैर से
और चाय के साथ
मांगेंगे बिस्किट
देर होने पर
पानी में भिगोकर
खा लेने के बाद
चीखेंगे – चिल्लाएंगे
प्रदर्शन करेंगे
अपनी निस्सहायता का
इस दावे के साथ कि
अब भी है उनका
मालिकाना हक
इस घर की प्रत्येक चीज़ पर
अपने हाशिये पर होने को
नहीं कर पायेंगे
स्वीकार एकदम
पर स्वीकारने के बाद
खामोशी से
चले जायेंगे
अपने बिस्तर की ओर
गर्म प्याला छोड़।
कविताएँ
पिता
आज का विचार
ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हम ही हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार हैं।
आज का शब्द
समानता Women’s Day advocates gender parity. महिला दिवस लैंगिक समानता की वकालत करता है।