मन में कहीं गहरे
मैं ने चाहा है एक
आत्मिक सम्बंध
एक शब्द हीन‚
अभिव्यक्तिहीन लगाव
वह चाहे कुछ भी हो‚
समुद्र न हो कि अल्हड़ नदी सी दौड़ पड़ूं
आकाश न हो कि उसकी आकांक्षा में आंखें पत्थर कर लूँ
वृक्ष न हो कि लता बन उस पर निर्भर करुं
हो बस
इस जीवन प्रवाह का समानान्तर किनारा
या हम हों
दो विपरीत दिशा की हवाओं के झोंके
जो एक दूसरे को छुए बिना
एक दूसरे के आर–पार गुज़र जाएं
हो दर्पण में अपने ही प्रतिबिम्ब सा
या इस ब्रह्माण्ड से बिछड़े
दो अग्नि स्फुलिंग जो छिटक कर अलग हों
फिर इसी में गिर एक हो जाएं
क्या कहीं होगा
कोई ऐसा अदेही सम्बंध?
कविताएँ
अदेही सम्बंध
आज का विचार
विश्व एक विशाल व्यायामशाला है जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
आज का शब्द
मिलनसार The new manager is having a very genial personality. नये मैनेजर का व्यक्तित्व बहुत ही मिलनसार है।