आज अपने उदास पलों में
अमलताश को चुपके से
एक कोने में
खिलते देखा
सोचती थी‚
मेरी वेदना का ये साथी
मेरे अलगाव–भरे दिनों में
भला क्यों खिलेगा?
मैंने क्यों ये विश्वास पाला
कि वो तब तक नहीं खिलेगा
जब तक कि मैं न खिल पड़ूं
पर आज‚
वह कोने में खिलता दिखाई दे गया
टप! से टपके कुछ पीले फूल
जैसे चोरी पकड़े जाने पर कांप उठा हो
हम टूटते‚ तन्हा दिनों के साथी जो है‚
पर‚
ठीक ही तो किया उसने खिलकर
और भी तो युवा प्रीत भरे दिल हैं
उन्हे देख बेचारा
खिल भी पड़ा तो क्या।
कविताएँ
अमलताश : 1
आज का विचार
जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं हैं।
आज का शब्द
द्विशाखित होना The river bifurcates up ahead into two narrow stream. नदी आगे चलकर दो संकीर्ण धाराओं में द्विशाखित हो जाती है।