ऐसे कैसे चली जाऊंगी
अपने अंत की ओर
खाली हाथ
ले जाऊंगी
तन की मिट्टी में
खुदा तुम्हारा नाम
ले जाऊंगी गंध ज़रा सी
लिपटी होगी जो हवाओं में
ले जाऊंगी झर चुके फूल की
पथराई कामना
ले जाऊंगी हरी घास की नोक पर टिकी
एक जल की बूंद
आंखों से अपनी
ले जाऊंगी उतना आकाश
उतनी धरती
रस बस चुकी थी देह में जितनी
ले जाऊंगी अंत की ओर प्रेम
ज़रा सी प्रार्थना
और नक्षत्रों में से
आवाज़ दूंगी
तुम्हारे मौन में …
कविताएँ
अंत की ओर
आज का विचार
“जब तक जीना, तब तक सीखना” – अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैं।
आज का शब्द
मिलनसार The new manager is having a very genial personality. नये मैनेजर का व्यक्तित्व बहुत ही मिलनसार है।