1.
 

पकते हुए गेहूँ के खेतों से,
गुज़र कर आई हूँ मैं।
कच्ची–पक्की सी महक
बस गई है देह में।
रात जब समेटा था तुमने,
बिखरी सुनहरी रेत सा,
एक गहरी साँस ले पूछा था—
क्या एक कच्चा–सा
खेत पक रहा है,
तुम्हारे भीतर?

2.

रात तुम उफनी थीं
उस मुहाने पर आ,
जहाँ प्रकृति मिलाती है,
तुम्हें मुझसे।
मैं हतप्रभ सा समेटता रहा तुम्हें
नदी हो तुम,
इसी मुहाने से होकर प्राय:
नि:शब्द मिलती आई हो
अपने इस समुद्र से।
रात क्या किसी पहाड़ी रास्ते से
गुज़र कर आई थीं तुम?

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आज का विचार

विश्व एक विशाल व्यायामशाला है जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।

आज का शब्द

मोहर Continuous hard work is the cachet of success in the life. निरंतर परिश्रम ही जीवन में सफलता की मोहर है।