एक औरत के
यकीनों का क्या है?
टूटते रहते हैं हर रोज़
हाथ से गिरे प्यालों की तरह
बटोर कर फैंक देती है वह
उसे शायद नहीं पता
नहीं करती है वह सामना
बाहर की दुनिया का
एक मर्द के लिये
जो कि बहुत आसान नहीं
बहुत बचाता है
बचाना चाहता है
वह औरत के मासूम यकीनों को
लेकिन कई बार
मुमकिन नहीं होता
मर्दों की दुनिया में
मर्द होने की प्रक्रिया में
कई बार लौटा कर
लाया भी है वह
सही सलामत उन कांच से यकीनों को
लेकिन
घर की देहरी तक
लौटते उसके पांव
यूं थक कर लड़खड़ाते हैं कि
छन्न – से
टूट कर गिर ही पड़ते हैं
औरत के यकीन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

आज का विचार

दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो।

आज का शब्द

द्विशाखित होना The river bifurcates up ahead into two narrow stream. नदी आगे चलकर दो संकीर्ण धाराओं में द्विशाखित हो जाती है।