हेमन्त के आगमन से सिहरती हवाओं में‚
लार्लगुलार्बीसफेद पोस्त के फूलों की पंक्तियों पर‚
बगुले सा उतर आता है
नए साल का पहला दिन।
इस बार इसे बाँट लेना प्रकृति के संग
देर तक जागी रात के शोर के बाद
शायद तुम उपेक्षित कर जाओ
सुबह–सुबह बकरियाँ लेकर गुजरते
गडरिये के अलगोजे की टेर को।
मगर खुलते ही‚
इस दिन की हल्की भूरी आँखें
निकल पड़ो जंगल की ओर
नए साल का पहला दिन मनाने का
इससे प्राकृतिक तरीका होगा कोईॐ
कामोन्मत्त शलभों की पेड़ों से व्यर्थ टकराहटें
झड़े पंख और मृत शलभों के ढेर देख उदास न होना
यह तो प्रकृति का एक सादा सा नियम है।
अकेले नहीं होगे तुम‚ साथ होगी
महुए के खिलते फूलों की मदिर गंध
पतझड़ के अनेक जलते रंग।
समानान्तर बहती खामोश प्रिया–सी
नहर के बहते पानी में पैर डाल महसूस करना
पानी का आतुर गुनगुना स्पर्श
पक्षी–युगलों के नानाविध उत्कंठ तप्त स्वर सुनना
देखना रेतीले कगारों का चुपचाप गिरना
आत्मविस्मृत हो प्रकृति में लीन हो जाना
अनुभूतियों को शब्दों से अनावृत कर
पहरों डूबने–उबरने देना‚ नहर के उन्मुक्त बहाव में
टिटहरी के आर्त स्वरों से अन्यमनस्क न होना
दर्द भी तो ख़ुशी का ही एक टूटा टुकड़ा है।
बस यूँ एक अच्छा दिन‚
प्रकृति में कण–कण बिखेर आना।
कविताएँ
एक दिन प्रकृति के संग भी
आज का विचार
“जब तक जीना, तब तक सीखना” – अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैं।
आज का शब्द
समानता Women’s Day advocates gender parity. महिला दिवस लैंगिक समानता की वकालत करता है।