आइए —
इस प्राचीन पर्वत – श्रृंखला के पार
जितनी दूर भी जा सकें आप
रेतीले धोरों में बिखरी एकाकी ढाणियों के बीच
जहां ढाणी में एक घड़ा पानी ही
उसकी पूंजी होता है‚
सूरज‚ चांद और सितारे होते हैं
उजास के आदिम स्त्रोत —
बिजली सिर्फ बादलों में निवास करती है
और पानी पृथ्वी की अतल गहराइयों में मौन
दुर्लभ देवता!
और गिले – शिकवे की बात नहीं है
आने को लोग अकसर आ जाते हैं
फेरी की तर्ज पर और लौट जाते हैं
उस अजनबी सैलानी की तरह
जो नज़ारों की खोज में
भटकता फिरता है आखे जहान में!
उन्हें अपने रिसालों
और बेनूर दीवारों की खातिर
कुछ तस्वीरें लेनी होती हैं नई —
सजानी होती है
अपनी सूनी और बेजान इमारतों की शान
उन्हें आकर्षित करते हैं
बूंद – बूंद पानी के लिये
तरसती रेत के दुर्लभ दरसाव
और सिर पर घड़ा उठाए
पसीने से तर – बतर
पनिहारिनों का छलकता उल्लास
उनका तार – तार परिधान!
वे नहीं जान पाते
अपनी नियोजित यात्रा में
रोजी और जीवारी के लिये
भटकते इंसान की सांसत —
एक घड़ा पानी के लिये
दूर तक जाती क्षितिज के पार—
आकाश और पाताल एक करती
घरनी और ढाणी की
कविताएँ
एक घड़ा पानी
आज का विचार
“जब तक जीना, तब तक सीखना” – अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैं।
आज का शब्द
मोहर Continuous hard work is the cachet of success in the life. निरंतर परिश्रम ही जीवन में सफलता की मोहर है।