पानी की तरल आकृतियों से
अपने अपने एकान्त में
रचा जाता है जो संसार
वही स्पन्दन है
काष्ठ हो आई सम्वेदनाओं के बीच
एकान्त शब्द में
लगे हैं हज़ारों पंख
अंतरिक्ष माप लेने
की सामर्थ्य भरे पंख
एकान्त ही में गूंजता है
बीत चला वक्त
एकान्त ही में मूर्त होते
हैं आने वाले सपनीले पल
एकान्त ही है जो अकुला कर
करवटों में
उठाता है तुम्हें
कि सुनो आहटें
किसी के लौट आने की
या
रोक लो उन्हें जो
खीज कर जा रहे हैं
ज़रूरी है एकान्त समझने को खुदको
विश्लेषण करने को उन सब क्रिया प्रतिक्रियाओं के
जो जाने अजाने
मन के माने न माने तुमने की हैं
पता है न एकान्त पा जाता है सब कुछ
जो खोया या खोते आए हो तुम
लौटा देता है तुम्हें
पोटली भर दिवास्वप्नों की
कि एकान्त ज़रूरी है
जी भर कर रो लेने को
अपने सारे खोए पाए पर
एकान्त एक नमकीन झील है
जिसकी बेचैन परछाईयों में
तुम उकेरते हो भविष्य अपना
ढूंढते हो अतीत में गुम हुआ चेहरा अपना
एकान्त के सन्नाटों का अपना शोर है
मन में चलती आंधियों का
देह में बहती कल कल नदी का
तड़ तड़ जलते वज़ूद की आग का
कुछ आहटों का‚ कुछ चीखते हुए बीते पलों का
किसी के खटखटाने का‚ किसी के पुकारने का
पत्तों की खड़खड़ाहट में किसी के आने के भ्रम का
एकान्त एक अनिश्चित‚ अनजानी सी प्रतीक्षा है !
कविताएँ
एकान्त
आज का विचार
एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।
आज का शब्द
मोहर Continuous hard work is the cachet of success in the life. निरंतर परिश्रम ही जीवन में सफलता की मोहर है।