इस सदी के अंत तक
मैं बचा ही लूंगी एक बच्चा
जिसकी किलकारियां
बीज बन कर फूटेंगी धरती से
खिलेंगी फूल बनकर
और जिसकी महक बिखर जाएगी
समस्त वन–प्रान्तरों में

इस सदी के अंत तक
मैं बचा ही लूंगी एक स्त्री
जो बचाए रखेगी इस बीज को
सेब की तरह
जो धरती की तरह परिक्रमा करेगी
जिसकी इच्छा से होंगे रातें और दिन

इस सदी के अंत तक
मैं बचा ही लूंगी एक आदमी
जो छनेगा सूर्य की किरणों से
उजाला बन कर अपने तेजोमय स्वरूप में
जिससे कोई कुछ नहीं मांगेगा
क्योंकि वह जान लेगा
आवश्यकताओं को उनके जन्म के पहले
जो हवा में नग्न होगा और
पिघलेगा धूप में
जिसके स्वेद कणों से फिर
जन्मेगी एक समूची सृष्टि

इस सदी के अंत तक
मैं बचा ही लूंगी
कुछ न कुछ ज़रूर…।

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आज का विचार

जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं हैं।

आज का शब्द

मोहर Continuous hard work is the cachet of success in the life. निरंतर परिश्रम ही जीवन में सफलता की मोहर है।