एक दिन मैं तुम्हें बताऊंगी
तुम्हारी सपनीली उत्त्पत्ति के बारे में
कि धुन जब अपने शीर्ष पर थी
और बस टूटने को था तार एक
कि तुम्हारी उत्त्पत्ति हुई
मेरे एकदम भीतरी तह के नीचे
मैं जान नहीं पाई कुछ
एक कांटा सा कसकता रहा लगातार
जिसने आखिर मुझे एक नतीजे तक पहुंचाया
कि ये वेदना‚ प्रेम का रहस्य न जान सकने की
विवशता से उत्त्पन्न होती है
मैं अपनी वहाँ मौजूदगी का अर्थ
ढूंढती रही और जाने कब मेरे भीतर
फ्ूल टूट टूट कर गिरते रहे
अब जबकि उन फूलों को टटोेलते हुए
तुम मुझे ढूंढ रहे हो
मैं तुम्हें बताऊंगी
अपनी उत्त्पत्ति का रहस्य
कि सघन वेदना के अंतिम कण के
फट जाने से ज़रा पहले
जब तुमने मुझे देखा
भर आयी आंखों से
उस पानी से मेरा जन्म हुआ
यह बताने का एक सूत्र वाक्य है
कैसे तुम हर रोज जन्मते
हो मेरे भीतर
किसी और तरीके से……।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

आज का विचार

जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं हैं।

आज का शब्द

मोहर Continuous hard work is the cachet of success in the life. निरंतर परिश्रम ही जीवन में सफलता की मोहर है।