क्यों जन्मे हैं
अभिमन्यु की तरह
इस चक्रव्यूह के अंतिम व्यूह तक
पहुंचने की जन्मजात साध लिए?
क्यों नहीं जन्मे हम
एक शलभ की तरह
एक ही रात
जी भर कर जी लेने को
सुबह की पहली किरण के साथ
मर जाने को
क्यों आस–पास देखते आए हैं
रो–रोकर
कि समेट लेंगे कोई दो हथेलियां
उदास चेहरा
लगा लेगा वक्ष से कोई
दर्द हमारा अपना है
इसमें भी एक रूमानियत है
थोड़ी कसैली ही सही
वो जो देंगे वह सहानुभूति भी
होगी अजनबी
सेक्रीन सी मीठी
कड़वाहट की हद तक मीठी।

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आज का विचार

विश्व एक विशाल व्यायामशाला है जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।

आज का शब्द

मोहर Continuous hard work is the cachet of success in the life. निरंतर परिश्रम ही जीवन में सफलता की मोहर है।