पुरुष कह देता है —
” मेरा पैसा‚ मेरा घर‚ मेरे निर्णय
और मेरे बन्द ताश के पत्ते
मेरी जीत! “
स्त्री कह नहीं पाती
बस सोच कर रह जाती है
” मेरी देह‚ मेरी इच्छाएं‚ मेरे निर्णय!”
‘शो’ के बाद
उसके खुले हुए ताश के पत्ते
उसकी हार!
जानती है वह
बहुत खतरनाक होता है
अपने सामथ्र्य से विश्वास का उठ जाना
कंटीली फेन्स में फंसे मेमने सा
घातक होता है
पिंजरे से बाहर निकल कर
पर फैलाने का डर
फिर सीमोन की डांट खाती है
देर रात तक
पैसे पर आकर मात खाती है
सीमोन कान में फुसफुसा कर डांटती है —
कहा था न‚
औरत की आज़ादी उसके पर्स में होती है।
वह सिटपिटाती है —
” पर्स तो है‚ मगर खाली है।
टूटी चप्पल जुड़वाने के लिये तक तो
उसकी राह देखती हूँ।”
वह आत्मगौरव से भर जाता है
जब स्वयं की अनुपस्थिति में
असुरक्षित पाता है उसे
उल्लसित होता है
जब निर्भरता व्यक्त करती है
उस पर अपनी
बहुत बहुत सहम जाता है
बल्कि उदास हो जाता है
जब पाता है
गलती से कभी आत्मनिर्भर उसे
निकलना चाहती है वह
घर की देहरी से बाहर एक बार
ढूंढने को अपनी
खोई हुई आदिम आत्मनिर्भरता
जाने कहां‚ कैसे मिलेगी
दबी रखी होगी कहीं
परत दर परत चट्टानों के भीतर
जीवाश्म की तरह

एक ओर सीमोन की डांट है
दूसरी तरफ
उसकी तंज भरी हंसी
एक तरफ खाली पर्स है
खंडित आत्मविश्वास है
दूसरी तरफ
एक नई दुनिया है
नई हवा है, खुली खिड़कियां हैं
पैरों के करीब आती खुरदुरी
मगर अपनी ज़मीन है।

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आज का शब्द

समानता Women’s Day advocates gender parity. महिला दिवस लैंगिक समानता की वकालत करता है।